परंपरा और परवरिश
राजदरबारो में एक परम्परा होती थी।
राजा जब दरबार में प्रवेश करने वाला होता, उसके पहले दरबार के प्रतिहारी को सूचित कर दिया जाता।
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तब वह उच्च स्वर में आवाज लगाता, और सभी दरबारियों या आयी हुई जनता को अटेंशन की मुद्रा में लाने के लिये महराज की अगवानी का उद्घोष करता।
सावधान, सावधान, सावधान!
चक्रवर्ती!!, महा-महिमाधिराज, देवानांप्रिय, परमभट्टारक!!, विक्रमादित्य, जगद्गुरु, नरपति, धर्मरक्षक,
सिंहासनाधीश्वर, सर्वभौम,...
राजाधिराज, विश्वविजयी,
भूपति, नृपेंद्र, धर्माधिपति, सहस्रबाहु, पराक्रमभट्टारक, पृथ्वीपाल, विश्वनाथ
महाराज श्री श्री मूंगफली जी महाबली ...
पधार रहे है ssss
प्राचीन भारत मे कुछ ऐसा होता था।
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फिर इस्लामी आ गए। लेकिन सिस्टम वही बना रहा। तब कुछ इस तरह से आवाज आती...
बा अदब, बा मुलाहिजा, होशियार..
सुल्तान-उल-हिंद खलीफतुल्लाह,
आलमगीर, जाम-ए-जमजम, अमीर- उल- मोमिनीन, दुर्रे दुर्रान, सुल्तान पादशाह, गाजी, ज़िल्ल-उल्लाह, जिल्लेसुभानी,
खुदावंद, सुल्तान-उल-आदिल, शाह-ए-दीन, मुजाहिद, हजरत, ख्वाजा अलफूल- उल- मसूर की दाल पधार रहे है।
तो मध्य कालीन भारत मे आपको ऐसा सुनने को मिलता। अब आप सोच रहे होंगे कि आधुनिक भारत मे क्या सुनने को मिलेगा..
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आधुनिक काल मे प्रजातन्त्र आ गया। प्रजातंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, मानवाधिकार यह सब एक पश्चिमी अवधारणा है।
हम इन्हें उखाड़ फेकेंगे। शुद्ध भारतीय राजविधि लाएंगे। एक राजा होगा। वह विश्वविजयी होगा। सारी दुनिया में उसकी डुगडुगी बजेगी, ब्रह्मांड उसका सम्मान करेगा।
और तब!!!
हटो बे, कट ले, ओये गद्दार, ओ हलो वामपंथी, पकिस्तानी, चमचे, मुल्ले..
चलss परे हट..
साइप्रसश्री, श्रीलंकाविभूषण, घानारत्न, मॉरीशस वीर, कुवैतभूषण, गयानाप्रभा, बारबाडोसज्योति, नाइजीरियाकमल,
डोमिनिकाचन्द्र,
रूसभारती, ग्रीसविभुषन, फ्रांसरत्न, मिस्रश्री, पलाऊवीर, पापुआ न्यू गिनी ज्योति, फिजी विभूषण, भूटानचंदन, बहरीननंदन..
मालदीव-जेम, अमीरात जायद, फिलिस्तीनश्री, अफगानिस्तान विभूषण, सऊदीअरबेन्द्र
श्री श्री सरेंडर नाथ जी महाराज
पधार रहे हैंSSS !!!
🙏
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