नासमझ वाला समझ
ऑपरेशन सिन्दूर पर राहुल गांधी की स्पीच में जो ब्रिलियन्स थी है, वो बिखरे तथ्यों को जोड़कर सॉलिड कन्क्लूजन निकालने के कौशल से समझ आता है।
उनकी स्पीच के बाद लगा कि ये बाते तो हर इंसान के सामने थी। पर हम लोगो ने इसे समझा क्यो नही?
◆●◆
तीन एस्टेब्लिस्ड बाते है..
सबको पता है।
1- सरकार द्वारा पाकिस्तान को ऑपरेशन सिन्दूर की पूर्व सूचना देना
2- सिर्फ "आतंकी" ठिकानों को उड़ाने का इरादा बताकर, पाक को एस्केलेशन न करने की इल्तजा करना (आप धमकी कह कर खुश हो लें)
3- इस वादे की पूर्ति में अपनी एयरफोर्स को, पाक मिलिट्री टारगेट न छूने को कहना।
●●
अब मतलब यह कि आपने पाकिस्तान को अलर्ट करके, हाथ बांधकर, उनकी सीमा में अपने पायलट ठेल दिए।
अब किसी देश की सीमा में फाइटर प्लेन्स, आपने आतंकी ठिकाने उड़ाने जैसे पवित्र काम के लिए भेजा हो, या घास छीलने। उनके एयरस्पेस में अनाधिकृत घुस तो रहे हैं।
वो मिसाइल मारेगा ही।
●●
तब मिसाइल मारने वाले एयर डिफेंस सिस्टम को, अनटचेबल बनाकर, न्यूट्रलाइज करने की इजाजत आपने दी नही।
तो वो रेडी है, गोलियां मिसाइल बरसा रहा है।
आप निशाने पर हो, पलटवार कर सकते नही।
पाकिस्तान के ऊपर उड़ रहे पायलट की क्या बेबसी है..
महसूस कीजिये।
●●
और आपको इस सिचुएशन में फंसाकर, उधर नेता अपनी 56पने का गाना गा रहा है। आपका विमान गिरे, मर जायें।
उसे मतलब नही।
गिरने के पहले आपने जो भी मकान दुकान मस्जिद मकतब ध्वस्त किये, उनका क्रेडिट नेताजी ले उड़ेगा। उसके समर्थक नंगा नाचेंगे, वोट मांगेंगे।
कितने विमान नष्ट हुए, कितने फौजी जानमाल का नुकसान हुआ, बताने में भी इन्हें डर लग रहा है।
तो गिरें आप, मरें आप। पोस्टर नेता के लगेंगे।
युद्धक विमान के साथ। G सूट में।
●●
ऑपरेशन सिन्दूर की परतें जैसे जैसे खुल रही है, ये टोटली राजनीतिक मूर्खताओं का पुलिंदा साबित हुआ है।
आपने दुश्मन को सावधान कर, उसके सामने बंधे हाथ योद्धा भेजे। यह क्रिमिनल स्टुपिडिटी थी। आपमे युद्ध लड़ने का जिगरा शुरू से नही था।
POK लाने, पाकिस्तान को मिटा देने, लाहौर कराची को धुआं धुंआ कर देने के बकलोल बोल, सिर्फ सोशल मीडिया और एंकरों की हेडलाइन्स के लिए थे।
क्योकि "नही लड़ने" का वादा पहले ही किया जा चुका था। कौन सरकार ऐसा करती है भई??
●●
जाने ये किस किस्म की लीडरशिप है।
कैसी सरकार है,कैसे समर्थंक हैं, कैसे वोटर हैं। जो एक फेल्ड नेता के गुणगान के लिए अडोस पड़ोस में फौज को बकरों की तरह कटने भेज देती है।
ईश्वर न करे कि देश को ऐसी लीडरशिप के रहते, हमारी सेना को किसी असल युद्ध का सामना करना पड़े।
Comments
Post a Comment